जब एक नया जीवन इस धरती पर आता है, तो उसके देखभाल और पोषण की जिम्मेदारी बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। विशेषकर, जब नवजात शिशुओं के आहार की बात आती है, तो यह जानना कि क्या उनके आहार में पानी का समावेश होना चाहिए, एक सामान्य प्रश्न है। शिशु जल सेवन के बारे में अनेक मिथक और गलतफहमियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।
स्तनपान कराने वाले शिशुओं के लिए जल की अतिरिक्त आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि माँ का दूध सम्पूर्ण आहार है जो कि आवश्यक जल और पोषण की सभी जरूरतों को पूरा करता है। माँ का दूध और जल संतुलन बिल्कुल सही मात्रा में होता है, जो शिशु को स्वस्थ और हाइड्रेटेड रखता है।
यदि शिशु को पानी दिया जाता है, तो यह उनके कोमल पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। शिशुओं में जल विषाक्तता का खतरा होता है जिससे शरीर में सोडियम के स्तर में असंतुलन हो सकता है। इस कारण से छह महीने से कम उम्र के शिशुओं को पानी नहीं देना चाहिए।
गर्मी के मौसम में नवजात शिशु की हाइड्रेशन पूर्ववत रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। शिशु की प्यास बुझाने के लिए अक्सर स्तनपान कराना सबसे बेहतर उपाय है। माँ का दूध न केवल उन्हें पोषण प्रदान करता है बल्कि गर्मी से भी बचाता है।
जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, उसके आहार में कई अन्य खाद्य विकल्प जोड़े जा सकते हैं। लेकिन पानी का समावेश तभी करें जब डॉक्टर सलाह दे दें। आमतौर पर छह महीने के बाद धीरे-धीरे पानी देना शुरू किया जा सकता है।
शिशु को प्रारंभिक जीवन में पानी का सेवन करने की आवश्यकता नहीं होती; स्तनपान ही उनके लिए पर्याप्त होता है। यह उनका सम्पूर्ण आहार है और उन्हें आवश्यक हाइड्रेशन प्रदान करता है। नवजात के लिए सुरक्षित पेय केवल माँ का दूध ही है। शिशु आहार और जल की भूमिका समझकर सही निर्णय लेना अत्यंत आवश्यक है जो उनके स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी। जब तक डॉक्टर द्वारा सलाह न दी जाए, तब तक पानी का सेवन स्थगित रखना बेहतर है।